Love Tips : प्यार की कैमिस्ट्री Chemistry of love
Love Tips : प्यार की कैमिस्ट्री Chemistry of love




Love Tips : प्यार की कैमिस्ट्री Chemistry of love

प्रेमी युगल के शारीरिक व मानसिक परिवर्तन वैज्ञानिकों के लिए हमेशा से ही जिज्ञासा व शोध का विषय रहे हैं। बाॅयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड आपस में जब मिलते है उनके दिलों की धड़कन अचानक क्यो बढ़ जाती हैं? वे एक-दूसरे को क्यों चाहने लगते हैं? वे एक-दुसरे के बिना क्यों नहीं रह पाते हैं? इन विषयों पर वैज्ञानिकों ने लंबा शोध किया। जिसमें अनेक बातें सामने आयी। अंततः उस बारे में पता लगा लिया, जिसके कारण प्यार उमड़ता है।

वैज्ञानिकों ने लंबे शोध में पाया कि शरीर के अंदर एक प्रकार का हार्मोन पाया जाता हैं। जो व्यक्ति के मन में प्यार को जगाता है। जब दो प्यार करने वाले आपस में मिलते हैं तब पूरे शरीर में एक अद्भुत रासायनिक क्रिया होती है। जब अपोजिट सेक्स वाले आपस में मिलते हैं, एक-दुसरे का प्रभावशाली व्यक्तित्व प्रभावित कर जाता है। प्रभावशाली व्यक्तित्व की छवि मस्तिष्क अपने संदेश, संदेश तंत्रिकाओं द्वारा हृदय तक पहुंचाता है और प्यार की एक नन्हीं सी लहर सागर रूपी हृदय में हिलोर लेने लगती है। उस वक्त सीने में हल्का सा दर्द होता हैं। इसे कहते है, आंखों के रास्ते दिल में समा गयी।  

ब्रिटेन के एक प्रसूति विशेषज्ञ डा. माइकल ओबेन्ट का कहना है कि मेल और फीमेल के बीच लव उत्पन्न करने वाला एक प्रकार का हार्मोन होता हैं। डा. ओबेन्ट के अनुसार प्यार पनपाने वाले इस हार्मोन का निर्माण मस्तिष्क में होता है, इसका संबंध विचारों व भावनाओं से होता है। मस्तिष्क के हाइपोथैैलमस वाले भाग में एक प्रकार का हार्मोन जो प्यार की भावना को जगाता है। उत्पन्न कराती है। लंबे शोध में पाया गया है कि हाइपोथैलमस में स्थित ‘आक्सीटोसीन’ हार्मोन प्यार की भावना को जगाने में काफी हद तक मददगार हैं। उनके अनुसार प्यार को पनपने का काम अकेले आॅक्सीटोसीन नहीं करता इसके लिए एक पूरी रसायनिक क्रिया भी होती है।

डा. ओबेन्ट का कहना है कि दो अपोजिट सेक्स के बीच प्यार भरे पल के दौरान यह हार्मोन विभिन्न स्तरों पर प्रवाहित होता है। आॅक्सीटोसीन अकेले कार्य नहीं करता हैं बल्कि यह प्रोलाक्टिन के साथ मिलकर अपना कार्य करता है। यह दोनों हार्मोन पुरूष और स्त्री के बीच सम्पर्क के समय मस्तिष्क को ओपियेक्ट केमीकल जैसे द्रव्य के साथ मिलकर काम करते हैं। इनके अलावा एडोरफिन्स नामक एक और हार्मोन भी उत्पन्न होता है जो  मधुर और आनंददायक अनुभूतियों को जन्म देता है।

लंदन से प्रकाशित प्रत्रिका ‘द गार्जियन’ में अपने एक लेख में डा. ओबेन्ट ने कहा कि प्यार की भावना पैदा करने वाला हार्मोन आॅक्सीटोसिन की उत्पत्ति दोस्ताना वातावरण में तुरंत होती है। उन्होंने कहा कि तेज प्रकाश और हाई-टेक मशीनें प्यार के बहाव को बाहर निकलने से रोकती है। इस तरह की परिस्थितियां मस्तिष्क के विचार ग्रहण करने वाले क्षेत्र नियो-कोर्टेक्स पर दबाव डालती हैं और आॅक्सीटोसीन को बाहर निकलने से रोकती है। जिसकी वजह से आज समर्पित प्यार करने वालों की संख्या कम होती जा रही है। उनका यह भी कहना है कि प्यार में समर्पण के लिए परिस्थितियां और माहौल का प्रभाव भी पड़ सकता है। सच्चा प्यार करने या धोखा देने के लिए जींस भी काफी हद तक जिम्मेदार होता हैं।

प्रसिध्द मनोवैज्ञानिक डा. एंथोनी वाल्स ने अपनी प्रसिध्द पुस्तक ‘द साइंस आॅफ लव’ में लिखा है, प्यार के दौरान शारीरिक हार्मोन की क्रिया विधि एवं संचालन में तेजी से एक रासायनिक क्रिया होती है। मस्तिष्क में प्यार के भाव उत्पन्न होने के दौरान हाइपोथैलमस क्षेत्र में डोपामीन, नारएपीनेफ्रीन तथा फिनाइल इथिलाइम का स्त्राव बढ़ जाता है। डोपामीन व नारपीनेफ्रीन नामक हार्मोन जीवन की प्रसन्नता और आनंद का भाव उत्पन्न करता है तथा फनाइल इथिलाइम स्नेह व प्यार की अभिव्यक्ति करता है। स्त्री व पुरूष के बीच प्यार उत्पन्न होने पर पियूष ग्रंथि में उपस्थित एड्रोलिन हार्मोन का स्त्राव बढ़ जाता है। जिसके परिणामस्वरूप दिल की धड़कन व नाड़ी की गति तेज हो जाती है।

नाड़ी की सामान्य गति 70 से बढ़कर 100 पर पहुंच जाती है। इसी अवस्था में नसों के किनारे एंडर्फिन नामक एक रसायन का स्त्राव तेजी से आरम्भ हो जाता है जो त्वचा में फैलकर उस पर एक प्रकार की लालिमा उत्पन्न करता है। जिससे शारीरिक सौंदर्य की वृध्दि होती है, इसलिए जब भी प्रेमी युगल आपस में मिलते है। उनके चेहरे पर लाली और खुशी के भाव फैल जाती हैं।

इनरोव यूनीवर्सिटी में इस विषय पर  शोध करने वाले वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पर पहुंचे है कि मस्तिष्क से स्त्रावित होने वाले डोपामाइन की मात्रा के आधार पर ही लड़कियां लड़कों की ओर आकर्षित होती है। इसलिए जिन लड़कों में डोपामाइन की मात्रा    अधिक होती है। वे अपनी ओर लड़की को जल्दी आकर्षित कर लेते हंै। वैज्ञानिकों के अनुसार डोपामाइन ही शरीर में आॅक्सीटोसिन नामक रसायन का स्त्राव करती है। आॅक्सीटोसिन ही प्यार को गहराई में उतारता है।

बर्थ साइक्लोलाॅजी डाॅट काम के  वैज्ञानिकों ने दावा करते हुए कहा है कि स्पर्श तथा आलिंगन के समय मेल और फीमेल में ‘आॅक्सीटोसीन’ का स्त्रात बढ़ जाता है तथा रति क्रिया एवं स्खलन के दौरान इसकी स्त्राव प्रक्रिया र्शीष पर होती हैं। बाॅयफ्रेंड -गर्लफ्रेंड के दिलो की धड़कन बढ़ाने में ‘एडरनामाईन’ केमीकल्स की भूमिका महत्वपूर्ण  होती है और इसे गति प्रदान करने या उत्तेजित करने का काम नारपाईन क्राईन नामक रसायन करता है। इन रसायनों की क्रियाशीलता दिल की धड़कनों को बढ़ाना, विशेष अंगों को उत्तेजित करना एवं शरीर की समूची प्रक्रिया को क्रमबद्ध तरीके से जोड़कर रखना है। तंत्रिका तंत्र के जाल में फंसा सारा जिस्म मस्तिष्क से नियंत्रित होता हैं।

मस्तिष्क से निकलने वाला सिग्नल जब तंत्रिकाओं के माध्यम से जिस्म के विभिन्न हिस्सों में पहुंचते हैं तो वह हिस्से क्रियाशील हो जाते है। प्यार के अनुभव से गुजर चुके युवक-युवतियों के एक ग्रूप का यह भी मानना है कि उन दुर्लभ क्षणों में दिल की भूमिका ज्यादा प्रभावशाली होती है। जबकि वैज्ञानिकों का कहना है कि प्यार के मामले में दिल की बजाए दिमाग यानी मस्तिष्क की मुख्य भूमिका होती है।

दिल दिमाग पर कैसे हावी हो जाता हैं? इस सवाल के जवाब में वैज्ञानिक दृष्टिकोण यह है कि दिमाग के दो हिस्से शरीर की क्रियाओं को नियंत्रित करते हैं। जिसमें एक हिस्सा सामान्य विचार प्रक्रिया तथा दूसरा हिस्सा भावनाओं पर नियंत्रण रखता है। जब मस्तिष्क में फिनाइल इथलामाईन तथा डोपामाईन का अत्यधिक स्त्राव होने लगता है तो भावनाओं को नियंत्रित करने वाला हिस्सा अधिक कार्य करने लगता है। जिसके परिणाम स्वरूप दिल दिमाग पर हावी हो जाता है।

टेक्सास मनोविज्ञान यूनिवर्सिटी के मनोवैज्ञानिक लारी किसटेंस का कहना है कि प्यार में लोग खाना-पीना भूल जाते हैं। इसका मुख्य कारण है पे्रमी के शरीर में एड्रेनेलीन की मात्रा बढ़ जाती है। जो उनमें भूख लगने की क्रिया को रोक देती है। मेसाचुसेट्स इंस्टीटयूट आॅफ टेक्नोलाॅजी के अमेरिकी वैज्ञानिक डा. जुडिथ वर्टकोन का कहना है कि प्रेमी युगल के मिलने से दिल की धड़कन व रक्त संचार की गति बढ़ जाने से शरीर के अतिरिक्त कैलोरी का ह्यस होता हंै। जिसकी वजह से प्रेमी युगल अपेक्षाकृत कम मोटे होते हैं।

रटगर्स यूनिवर्सिटी की शोधकर्ता और ‘व्हाॅय वी लव’ किताब की लेखिका हेलन फिशर के अनुसार प्यार में भूख नहीं लगना और चैन नहीं आना भी प्यार की वजह से शरीर में आए बदलाव के कारण होता है। प्यार में डूबे व्यक्ति की हालत पागलों जैसी हो जाती है। इसके लिए सेरोटोनिन हार्मोन जिम्मेदार होता है। यह सेरोटोनिन हार्मोन तनाव दूर कर मन को प्रफुल्लति एवं शांत रखता है।

प्यार में व्यक्ति अंधा हो जाता है। इस बारे में वैज्ञानिक राॅबर्ट फ्रेयर ने अपने प्रयोगों से यह साबित किया है कि एक खास किस्म के न्यूरो कैमिकल फिनाइल इथाइल की वजह से व्यक्ति को अपने प्रेमी की तमाम खामियां दिखना बंद हो जाती है। अपोजिट सेक्स से किया गया प्यार न केवल आपके शरीर के अंदर स्फूर्ति पैदा करता है, बल्कि आंतरिक क्रियाओं में भी बदलाव लाता है। मनोवैज्ञानिक प्रो. हैरी रेस ने अपने अध्ययनों में स्पष्ट किया है कि जो लोग एंकागी जीवन व्यतीत करते हैं। उनकी उम्र काफी कम होती है। जबकि जो लोग प्यार की पीगें बढ़ाते हैं वे मानसिक तथा शारीरिक दोनों रूपों में स्वस्थ रहते हैं और लंबी उम्र तक जीते हैं।

किसी के प्यार में डूबकर पागल हो जाना सिर्फ मुहावरा नहीं है। वैज्ञानिकों ने साबित कर दिखाया है कि किसी से बहुत ज्यादा प्यार हो जाने पर मस्तिष्क में तीव्रता के साथ फिनाइल एथिलामाइन का उत्सर्जन बढ़ जाता है। इससे मस्तिष्क जागरूक एवं शरीर क्रियाशील हो उठता है। व्यक्ति असामान्य भाव प्रदर्शित करने लगता है।

यदि किसी का प्यार के मामले में ब्रेकअप हो जाए तो उसके मानसिक रूप से बीमार होने की संभावना रहती है। कैलीफोर्निया यूनिवर्सिटी के मनोवैज्ञानिक मार्क गोल्स्टन का कहना है कि प्रेम की परिपक्वता, व्यक्ति को उसके विकास के चरम शिखर तक पहुंचा देती है, क्योंकि वह मन की सुनहरी कल्पनाओं के साथ यथार्थ जीवन की कठोरता को भी देखता है।

वैज्ञानिक यह भी कहते है कि आपके मोहब्बत का सरूर और दिमागी ग्रन्थियों का स्त्राव ताजिंदगी महसूस करते रहेंगे, ऐसा नहीं है। उनके द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, इसकी समयावधि 18 महीनों से 48 महीनों तक हो सकती है। बाद में मानव शरीर इसका आदी हो जाता है या यू कहे कि शरीर में पीईए के खिलाफ      प्रतिरोधक क्षमता पैदा हो जाती है। इसलिए प्यार में आगे चलकर बदलाव आ जाता है।

प्रेमी-प्रेमिका को एक दुसरे से ‘अब तुम पहले जैसी नहीं रहीं या अब तुम पहले जैसे नहीं रहे जैसी शिकायतें होने लगती हैं। इस तर्क में दम हो सकता है। लेखक चार्ल पेनाती ने अपनी पुस्तक ‘सेक्स ओरिजन्स एण्ड एन्टमेंटी थिग्ंस’ में लिखा है कि यदि आप किसी से प्यार करते हैं तो देर मत करें। उसे अपना बना लें। क्योंकि समय के साथ-साथ मस्तिष्क का लव मैप भी बदलने लगता है। इस लव मैप के डिजाइन में बदलाव आने पर गर्लफ्रेंड या बाॅयफ्रेंड एक दुसरे से दूर होने लगते हैं।

वैज्ञानिक प्रेम की रहस्यमय परतों को धीरे-धीरे खोल रहे है। प्रेम की इन रहस्यमय जानकारियांे से प्यार करने वालों को कुछ लेना देना नहीं है क्योंकि वे अपने प्यार को जानना चाहते हैं प्यार के रहस्य को नहीं....। (Copyright Maanoj Maantra)

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